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जय माँ धारी देवी

जय माँ धारी देवी


धारी देवी
श्री बदरीनाथ मुख्य मार्ग पर श्री नगर से १५ किलोमीटर की दूरी पर कलियासौड़ नामक स्थान है!
यहाँ से एक किलोमीटर की पैदल उतराई पर अलकनंदा के तट से कुछ  ऊॅचाई पर धारी देवी का प्रसिद्ध सिद्दीपीठ है!
इस स्थान के पूर्व के  इतिहास पर नजर डाले तो ज्ञात होता है की जनपद चमोली के गौना ताल,विरही गंगा और पातल गंगा में क्रमश १८०३,१८९४,१९७० में बज्र पात व् पानी जमा होने से अलकनंदा में आयी भयंकर बाड़ में यह मंदिर भी विशेष प्रभवित हुआ था।
 असंख्य घंटियों की आच्छादित इस मंदिर के विषय के लोक मान्यताओं के अनुसार गर्भगृह में पूजित मुख्य काली प्रतिमा अनेको वर्ष पहले कालीमठ से रुद्रप्रयाग तक मन्दाकिनी की धारा में,
  मन्दाकिनी व् अलकनंदा के संगम स्थल रुदप्रयाग से आगे बड़ते ही कलियासौड़ के नीचे धारी गाव के निकट प्राप्त हुयी थी।
 इस मंदिर में यज्ञ विधि विधान से प्रतिष्ठित किया गया !
मान्यता है की काली माँ का उपरी भाग यहाँ अवस्थित है और निचला भाग कालीमठ में पूजित है!
इस अन्य मान्यता अनुसार जब यह मूर्ती बह गयी थी तो कुंजू नामक एक धुनार को रात्री स्वप्न में देवी ने अपने को नदी से बाहर निकालने का आदेश दिया।
 कुंजू ने स्वप्न के आधार पर देवी को उस स्थान से बाहर निकाला,
 जिसे बाड़ में विधि विधान पूर्वक मंदिर में स्थापित किया गया।
 धारी देवी नाम पड़ने के पीछे मुख्यतः स्थान विशेष का नाम और एक पवित्र जलधारा का यहाँ होना माना जाता है।
मन्दिर के स्थान पर काली माँ विराजमान है,
जिनका स्वरुप यहाँ दक्षिण काली है!
महाभागवत के अनुसार महाकाली ही मुख्य है उन के उग्र और सौम्य दो रूप में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाये है।
 भगवन शिव की शक्तिया ये महाविधाये अनंत सिधीयाँ प्रदान करने में समर्थ है।
मुख्य देवी प्रतिमा लगभग १ १/२ फीट उंच काले पाषण में दर्शनीय है।
 देवी का वक्षस्थल तक का ही भाग यहाँ प्रतिष्ठित है! गंभीर मुद्रा में अंकित यह प्रतिमा विस्त्रृत नेत्रों वाली, मस्तक पर रजत मुकुट से सुशोभित है!।
मुख्य प्रतिमा के निकट काले पाषण में भैरव देव व् अन्य गणों की प्रतिमा दर्शनीय है।
मान्यता है की मुख्य प्रतिमा सूर्य के उदय होने के साथ ही,
दोपहर व् सूर्य डलने तक मुखक्रति में परिवर्तन दर्शाती है,

 अर्थात प्रतिमा स्वरुप में प्रातः कुवारी, मध्यान्ह में युवा तथा संध्या में प्रौड़तव झलकाता है!

सिद्दी स्थल होने तथा मुख्य मार्ग से थोड़ी दूरी पर होने के कारण इस मंदिर में नव विवाहितो व् दर्शनार्थियों की संख्या काफी रहती है!

नवरात्रियो के अवसर में यहाँ पर मेला लगता है।

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