मेरे प्यारे दोस्तों कैसे हो आप सब?
दोस्तों जैसा की हम सब जानते है ये फरवरी का महीना अपने पुरे सबाब पर है।
फरवरी का महीना मतलब प्यार इश्क़ मोहब्बत का महीना लाखों-करोड़ों दिलो को आपस में जुड़ने का जो सही समय होता है वो है फरवरी का महीना।
दोस्तों आज Uttarakhand Unlimited की टीम लेकर आयी है एक ऐसी कहानी जिसमे काम के दबाव के बीच उनके रास्ते अलग हुए पर उनके जज्बात हमेशा साथ रहे।
ये कहानी हैं देहरादून के रितेश और साक्षी की।
रितेश एक फैक्ट्री में काम करता था और वही उसकी पत्नी साक्षी एक हाउसवाइफ थी।अभी कुछ ही साल हुए थे उनकी शादी को और उनका उनका 3 साल का लड़का प्रिंस भी था।
एक दिन रितेश जब शाम को आया।तो घर में घुसते ही बेटे ने कहा - पापा !माँ की अंगुली कट गयी आज ।बहुत खून निकला था ।रसोई में देखा तो बीबी रोटियाँ सेंक रही थी ।उसने कपड़े उतार कर खूंटी पर टाँगे और मुंह हाथ धोकर साक्षी से बोला - क्या हो गया हाथ को ?
साक्षी-नया चाकू था सो सब्जी काटते हुए अंगूठा कट गया ।
रितेश- और फिर भी तुम लगी हुई हो,
क्या खाना मैं नहीं बना सकता था ?
साक्षी-तुम भी तो थके हारे आते हो सारा दिन लोहा काट पीट कर और फिर आकर चूल्हे में हाथ जलाओ ये मेरे रहते तो न हो सकेगा ।
रितेश-कमाल करती हो तुम भी,
ये गाँव नहीं है ,यहाँ तो औरतो के पैर तक दबाये जाते हैं और तुम हो कि मुझे रसोई भी न बनाने दोगी ।
साक्षी-बैठो यहाँ,मैं तुम्हें गरम रोटी परोसती हूँ।
जैसे ही सब्जी मे साक्षी के अंगुली के पोर गये उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी।वो वैसे ही बेटे को बगल में बैठा कर उसके मुंह में भी निवाले देती गयी।
रितेश-लाओ थाली मुझे दे दो तुम आराम करो मैं जरा रसोई सम्हाल लूँ पहले तुम खाना खाकर बाहर आओ ।
साक्षी-क्या हो गया जी ?
ऐसे क्यों चिल्ला रहे हो ?
रितेश रसोई में घुसा और बर्तन साफ करने लगा ।उसके भी हाथों को आज बर्तन धोने में जलन हो रही थी,मगर सारे बर्तन चमका कर ही बाहर निकला ।
साक्षी-ये आज अच्छा नहीं किया तुमने,
मेरे रहते तुम ने बर्तन साफ किए और वह सुबकने लगी आँसू पोंछने के लिए रितेश ने जैसे ही चेहरे को छुआ तो हाथों की हालत गालों ने बयान कर दी ।
साक्षी हाथों को होंठों से चूमते हुए बोली - कैसे आदमी हो तुम ?
दर्द को रोजी बनाए फिरते हो और आज मेरा भी दर्द अपना बना लिया |
जलन का मीठा एहसास आँखों की चमक और प्यार की मिठास बढ़ा गया था।
दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी ?
जरूर बतायेगा।
और शेयर जरूर कीजिये उन सब तक जो आपके लिये सब कुछ है जिससे आपकी जिंदगी में और भी सकारात्मक पहलू जुड़ जाये।
लेख को पढने के लिये तहेदिल से आपका शुक्रिया ।
दोस्तों जैसा की हम सब जानते है ये फरवरी का महीना अपने पुरे सबाब पर है।
फरवरी का महीना मतलब प्यार इश्क़ मोहब्बत का महीना लाखों-करोड़ों दिलो को आपस में जुड़ने का जो सही समय होता है वो है फरवरी का महीना।
दोस्तों आज Uttarakhand Unlimited की टीम लेकर आयी है एक ऐसी कहानी जिसमे काम के दबाव के बीच उनके रास्ते अलग हुए पर उनके जज्बात हमेशा साथ रहे।
ये कहानी हैं देहरादून के रितेश और साक्षी की।
रितेश एक फैक्ट्री में काम करता था और वही उसकी पत्नी साक्षी एक हाउसवाइफ थी।अभी कुछ ही साल हुए थे उनकी शादी को और उनका उनका 3 साल का लड़का प्रिंस भी था।
एक दिन रितेश जब शाम को आया।तो घर में घुसते ही बेटे ने कहा - पापा !माँ की अंगुली कट गयी आज ।बहुत खून निकला था ।रसोई में देखा तो बीबी रोटियाँ सेंक रही थी ।उसने कपड़े उतार कर खूंटी पर टाँगे और मुंह हाथ धोकर साक्षी से बोला - क्या हो गया हाथ को ?
साक्षी-नया चाकू था सो सब्जी काटते हुए अंगूठा कट गया ।
रितेश- और फिर भी तुम लगी हुई हो,
क्या खाना मैं नहीं बना सकता था ?
साक्षी-तुम भी तो थके हारे आते हो सारा दिन लोहा काट पीट कर और फिर आकर चूल्हे में हाथ जलाओ ये मेरे रहते तो न हो सकेगा ।
रितेश-कमाल करती हो तुम भी,
ये गाँव नहीं है ,यहाँ तो औरतो के पैर तक दबाये जाते हैं और तुम हो कि मुझे रसोई भी न बनाने दोगी ।
साक्षी-बैठो यहाँ,मैं तुम्हें गरम रोटी परोसती हूँ।
जैसे ही सब्जी मे साक्षी के अंगुली के पोर गये उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी।वो वैसे ही बेटे को बगल में बैठा कर उसके मुंह में भी निवाले देती गयी।
रितेश-लाओ थाली मुझे दे दो तुम आराम करो मैं जरा रसोई सम्हाल लूँ पहले तुम खाना खाकर बाहर आओ ।
साक्षी-क्या हो गया जी ?
ऐसे क्यों चिल्ला रहे हो ?
रितेश रसोई में घुसा और बर्तन साफ करने लगा ।उसके भी हाथों को आज बर्तन धोने में जलन हो रही थी,मगर सारे बर्तन चमका कर ही बाहर निकला ।
साक्षी-ये आज अच्छा नहीं किया तुमने,
मेरे रहते तुम ने बर्तन साफ किए और वह सुबकने लगी आँसू पोंछने के लिए रितेश ने जैसे ही चेहरे को छुआ तो हाथों की हालत गालों ने बयान कर दी ।
साक्षी हाथों को होंठों से चूमते हुए बोली - कैसे आदमी हो तुम ?
दर्द को रोजी बनाए फिरते हो और आज मेरा भी दर्द अपना बना लिया |
जलन का मीठा एहसास आँखों की चमक और प्यार की मिठास बढ़ा गया था।
दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी ?
जरूर बतायेगा।
और शेयर जरूर कीजिये उन सब तक जो आपके लिये सब कुछ है जिससे आपकी जिंदगी में और भी सकारात्मक पहलू जुड़ जाये।
लेख को पढने के लिये तहेदिल से आपका शुक्रिया ।